आप बच्चे के साथ हनुमान मंदिर गए. उसने पूछा भगवान को सिंदूर क्यों लगाया गया? आप उत्तर जानते नहीं थे. इसलिए अपनी झेंप मिटाने के लिए बच्चे को झिड़क दिया-सवाल नहीं पूछते, बस भगवान को प्रणाम करो. उस बच्चे से आप धर्म से जुड़े रहने की आशा कैसे रखेंगे? कड़ियां टूट रही हैं. बात कड़वी है, पर सोचकर देखिए क्या सच नहीं है? खैर, बीती ताहि बिसारिए आगे की सुधि लेहि. अनगिनत ग्रथों में समाए सनातन के ज्ञान को आज से भी थोड़ा-थोड़ा करके लेना शुरू कर दें, तो बात बनने लगेगी. इसीलिए सत्य मार्ग बनाया गया है. हिंदू अपनी सांस्कृतिक-आध्यात्मिक विरासत से जुड़े रहें इसकी एक कोशिश हुई है.समय के अभाव में ग्रंथों को विस्तार से पढ़ना संभव नहीं किंतु थोड़ा-थोड़ा करके मिलने लगे तो असंभव भी नहीं. जय श्री राम
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